Saturday 11 August 2018

तस्वीर


मैंने आज वो folder 
आख़िर delete कर दिया।
मैंने उसे कयी परतों में छिपा रखा था।
भारी मन से उस भरी हुए folder को,
हटा काफ़ी जगह बना ली है मैंने।
कयी सालों से क़ैद था मानो,
कुछ विडीओज़ ओर वो अनगिनत तस्वीरें।
वो जिसमें तुमने अपनी पीठ की तिल की
तस्वीर भेजी थी उसे भी delete कर दिया।
मैं जानता हु तुम कह नहीं पाती पर,
यही चाहती की मै उन्हें delete कर दूँ।
मुझे मालूम है तुम्हें भरोसा है,
की नीलाम नहीं करूँगा तुम्हें भरे बाज़ार में,
बस तुम्हें बताना था की बेफ़िकर हो जाओ अब।
वो हाथ जो हर महीने की 21 को
मेहँदी से रंग कर भेजती थी तुम
उन्हें भी delete कर दिया है।
बस कुछ तस्वीरें रखीं है हमारी पहली की
कुछ और इस आख़री मुलाक़ात की
उन्हें भी हटा दूँगा मैं बहुत जल्द।
पर वो फ़ोटो जो मेरे दिमाग़ की परतों मे
छपी हुई है उसे delete कर पाना 
इस जन्ममे तो नामुमकिन सा लग रहा हैं।

2 comments:

Paurush said...

Behtrin likha hai. Superb.

Nishikant Tiwari said...

Bahut sunder Likha hai. I really like it.

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