Monday 20 August 2018

Faces


The faces just changed,
But the stories are ranged;
Still no one is getting engaged,
With all the clones,
Even when all the bones;
Are still the same. 
No, they aren’t expecting fame;
All they want is game,
With the transparent rules;
Rather than, it being opaque.
The pits are deep,
That scares the creep;
All we want it to be melded along,
So that the cup is held for years;
Even when we hear the shatters. 
The faces just changed.
But they covered the tanged
Statements,
that may just corner the face;
This is what every world doesn’t expect. 
The faces just changed and are
Waiting for the way to get arranged
And are taken out of the barrage.
That currently looks like we are caged.
The faces just changed.

Wednesday 15 August 2018

अमीन


वो जो तुमसे कुछ बातें
अभी तक करनी बाक़ी है। 
उन्हें कब करने का मौक़ा मिलेगा
इसका कोई अनुमान नहीं। 
फिर भी हर रोज़ इस उमीद मे,
उठता हु की हो सकता है,
की आज वो मौक़ा मिल जाए,
पर हर बार वो रह जाता है। 
वो परसों जब तुम्हारी आशियाना की तरफ़,
जा रहा था कि रास्ते में पूरी गाड़ी उलट गयी। 
मुझे लगा की मेरा मौक़ा,
आगे के लिए बंद हो जाएगा। 
पर ऐसा लगा की जैसे,
तुम्हारी अमीन मुझे रुकवा गयी। 
अब हालात यह है की,
वो जो बातें करनी थी मानो,
अपना रास्ते को खो गयी। 
मैं इस बात से ग़ुस्सा नहीं हु,
अपने आपको समझाया इस तरह मैंने,
की मानो तुम्हारी अमीन ने वो बातें,
सुनके ही मुझे रुकवाया था। 
अब जब उन बातों को सुन चुकी हो
अपनी अमीन के साथ,
तो मिलना इतना ज़रूरी नहीं है अब,
बस वो अमीन मेरी तरफ़ भेज दिया करना हर रोज़।

Saturday 11 August 2018

तस्वीर


मैंने आज वो folder 
आख़िर delete कर दिया।
मैंने उसे कयी परतों में छिपा रखा था।
भारी मन से उस भरी हुए folder को,
हटा काफ़ी जगह बना ली है मैंने।
कयी सालों से क़ैद था मानो,
कुछ विडीओज़ ओर वो अनगिनत तस्वीरें।
वो जिसमें तुमने अपनी पीठ की तिल की
तस्वीर भेजी थी उसे भी delete कर दिया।
मैं जानता हु तुम कह नहीं पाती पर,
यही चाहती की मै उन्हें delete कर दूँ।
मुझे मालूम है तुम्हें भरोसा है,
की नीलाम नहीं करूँगा तुम्हें भरे बाज़ार में,
बस तुम्हें बताना था की बेफ़िकर हो जाओ अब।
वो हाथ जो हर महीने की 21 को
मेहँदी से रंग कर भेजती थी तुम
उन्हें भी delete कर दिया है।
बस कुछ तस्वीरें रखीं है हमारी पहली की
कुछ और इस आख़री मुलाक़ात की
उन्हें भी हटा दूँगा मैं बहुत जल्द।
पर वो फ़ोटो जो मेरे दिमाग़ की परतों मे
छपी हुई है उसे delete कर पाना 
इस जन्ममे तो नामुमकिन सा लग रहा हैं।

Thursday 2 August 2018

मेरी ज़िन्दगी

दर्द काग़ज़ पर मेरा बिकता रहा,
मैं बेचैन था,
रात भर लिखता रहा।
छूँ रहे थै सब बुलंदिया आसमान की
मैं सितारों के बीच,

चाँद की तरह छिपता रहा।

अकड़ होती,

तो कब का टूट गया होता मैं,
मैं था नाज़ुक डाली,
जो सबके आगे झुकता रहा।
बदले इनही लोगों ने,
रंग अपने अपने ढंग से,
रंग मेरा भी निखरा पर,
मैं मेहंदी की तरह पिसता रहा।
जिनको जल्दी थी,
वो बढ़ चलें मंज़िल की ओर,
मैं किनारा हुआ करता था कभी,
समंदर ने है मुझे पी लिया।

मैं समंदर के राज़ गहराई मे छुपाता रहा।

ज़िंदगी कभी भी ले सकती है करवट,

तू गुमान ना कर।

बुलंदिया छूँ हज़ार,

मगर उसके लिये कोई गुनहा ना कर।
बेतुके झगड़े,
कुछ इस तरह ख़त्म कर दिया मैंने।

जहाँ ग़लती नहीं भी थी मेरी,

वहाँ भी हाथ जोड़ माफ़िया माँग लिया मैंने।

अवसरों की खोज में: एक आत्मविश्वास की कहानी

शहर की बेमिती पलकों में, वहाँ एक आदमी का रूप, बेरोज़गारी के आबा में लिपटा, अकेला दिल की धड़कन में, अवसरों के समुंदर में बहती एक अकेला आत्मा,...