वो जो तुमसे कुछ बातें
अभी तक करनी बाक़ी है।
उन्हें कब करने का मौक़ा मिलेगा
इसका कोई अनुमान नहीं।
फिर भी हर रोज़ इस उमीद मे,
उठता हु की हो सकता है,
की आज वो मौक़ा मिल जाए,
पर हर बार वो रह जाता है।
वो परसों जब तुम्हारी आशियाना की तरफ़,
जा रहा था कि रास्ते में पूरी गाड़ी उलट गयी।
मुझे लगा की मेरा मौक़ा,
आगे के लिए बंद हो जाएगा।
पर ऐसा लगा की जैसे,
तुम्हारी अमीन मुझे रुकवा गयी।
अब हालात यह है की,
वो जो बातें करनी थी मानो,
अपना रास्ते को खो गयी।
मैं इस बात से ग़ुस्सा नहीं हु,
अपने आपको समझाया इस तरह मैंने,
की मानो तुम्हारी अमीन ने वो बातें,
सुनके ही मुझे रुकवाया था।
अब जब उन बातों को सुन चुकी हो
अपनी अमीन के साथ,
तो मिलना इतना ज़रूरी नहीं है अब,
बस वो अमीन मेरी तरफ़ भेज दिया करना हर रोज़।
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