Friday, 22 September 2023

अवसरों की खोज में: एक आत्मविश्वास की कहानी

शहर की बेमिती पलकों में, वहाँ एक आदमी का रूप, बेरोज़गारी के आबा में लिपटा, अकेला दिल की धड़कन में, अवसरों के समुंदर में बहती एक अकेला आत्मा, जो कभी भी नहीं लगता उनके पास आने का रास्ता। हर दिन उलझन के भार से सवेरा होता है, एक उदासी और भ्रम की धुंध में, जैसे कि एक साया छाया की तरह चिपका रहता है।

उन्हें एक अलार्म क्लॉक की डरावनी गुंजाइश से जागना होता है, इसकी तीव्र क्रिया दुनिया के बेमिती मार्च का एक स्पष्ट याददाश्त कराती है, जबकि वे नौकरी आवेदनों और साक्षात्कारों के क़ब्रिस्तान के क़ाम का न करने वाली सड़कों पर कब तक खड़े रहते हैं।

सूरज, जो कभी एक आशा का प्रतीक था, अब उनके बेमिती अस्तित्व का मजाक बन गया है, जब वह आसमान की ओर बढ़ता है, लम्बी छायाएँ फेलता है जो भीतर की गहरी खालीकाई का परिचायक करती हैं।

शहर की धक्कड़बाज़ी, जो कभी जीवन का संगीत था, अब एक असमंजस्य गैरतंत्रक शोर की तरह लगता है, उनकी असामाजिकता के बीच एक स्वरूपवर्ण की यादगार है।

वे अकेलापन में घंटों बिताते हैं, अपने मूल्य और उद्देश्य को विचार करते हैं, सोचते हैं कि वे जीवन की यात्रा पर कहाँ गलत मोड़ लिया हैं।

उनके कमरे की दीवारें उनके विचारों की भार का साक्षी होती हैं, निराशा और टाली गई सपनों के साथ सजीव हो जाती हैं।

भ्रम जैसे एक दृढ़ धुंध, खुद के आत्मसंदेह की गहरी अंधकार को छाये डाल देता है। वे अपने चुनौतियों, अपने कौशलों, और अपने योग्यता को प्रश्न करते हैं, स्वाभाविक रूप से आत्मसंदेह की बेहद अंधकार में प्रकाश की खोज करते हैं।

फिर भी, इस उदासी के बीच, एक दृढ़ पुनर्निर्माण की किरण प्रकट होती है। वे दुख की गहराइयों में अपनी मजबूती की खोज करते हैं, असमंजस्य के बीच से उठने का निर्णय लेते हैं। हर अस्वीकृति पत्र एक सीढ़ी का पत्थर बनता है, हर विफलता एक सिखने का मौका है, और हर आंसू उनकी अटल आत्मा का प्रमाण होता है।

नौकरी खोज के बीच शांत लम्हों में, वे साधारण खुशियों की सुंदरता को पुनः खोजते हैं - एक कप चाय की गर्मी, एक अच्छी किताब की सुखद गले में लगी गोद, और एक दोस्त के कानों की बातों की दरियादिल सुनाई देती है।

वे यह खोजते हैं कि जबकि बेरोजगारी उनके उद्देश्य को छीन सकती है, तो यह उनकी आशा की क्षमता को नहीं छू सकती।

और इसी तरह, वे शहर के दिल में खड़े होते हैं, अस्पष्टता में छिपे हुए एक स्वरूपवर्ण, उदासी और भ्रम के बीच, वे आगे का रास्ता बनाने का इरादा करते हैं, जीवन की पन्नों में अपनी खुद की कहानी लिखने का, जानते हैं कि सबसे अंधेरे घड़ियों में भी एक प्रकाश की किरण है, जो ढूंढने के लिए है।

Tuesday, 26 May 2020

PLEA TO THE GOD

Take me to a place where,

One can lay down;

Without anyone raising their frown.

Take me to a place where,

there stays my favorite season;

I may be able to change it, 

without any reason.

Just like my songs from the playlist.

Take me to a place where,

I can sleep whenever I want.

Take me to a place where,

I will not have to plea for a grant.

Take me to a place where,

I can hop from one cloud to another;

Even if the rain showers;

not one gets bother.

Take me to a place where,

All I wishes get filled.

Take me to a place where,

The beer gets served fully chilled.

Take me to a place where,

Queues cannot be broken;

Every time I recite my poems,

I receive an appreciation token. 

Take me to a place where,

Happiness is mandatory;

No one to be sad, becomes legal statutory. 

Take me to a place where,

The life turns like a stun;

I bright every day like a sun. 

I say please, take me to that place.

Sunday, 5 April 2020

ONCE THIS IS OVER

It has been long;
Since, I have been facing;
Tremendous shivering.
Every-time I try to;
Uncurtain the coming phase.
The path towards it,
Is completely dark. 
So dark,
that I cant see;
Not even a mark,
Which can guide where to go.
Whenever I curtain it down
My eyes are filled with tear
The fucking trouble
Is that whenever I smile
Trying to copying the clown
The coming out words get fumble 
This is such a pain 
Which in unable to bear
I am looking for the sky;
to get clear. 
I wish I get a lightly 
Heart
And stop shouting
Within me ever
Once this is over

Sunday, 30 December 2018

NOTORIOUS VIRUS

Hi, I am Jason 
and 
I am the son of a mason. 
Who wants me to become a doctor. 
I hope to learn a great deal in school. 
He told himself as he took the seat, 
"Boy! He is such a fool", said fate. 
He was unknown to this threat. 
The one that made him fret. 
He was pinned to the corner. 
Stripped of his shining armour of hope and faith. 
He is still haunted by the wraith.
His flesh was soft and guard taken away, 
for them he was the perfect prey. 
Prey to the most notorious virus ever. 
The effects of which tend to stay forever. 
He mistook it as a sheer accident. 
Once occurred, but shall never happen again. 
Little did he knew, it was going to be permanent. 
One day, he had enough. 
He had cuts on his hands 
and life seemed tough. 
He was told he is a weirdo and 
should take his own life once it for all and 
should not bluff. 
He has been strong all this while. 
But now just could see the light. 
He wrote a note to his father. 
He wrote he is lost and should die rather. 
That was the last his father heard from Jason. 

I want to ask that what on earth is wrong with our generation. We need to put an end to this, truly. 

Let's join hands and stop every bully.

Thursday, 1 November 2018

THE MASK

These small groups that form a team,
Should work towards a common goal. 
He read this out loud from the scroll. 

The one that was sent by the high priest. 
He wrote, what he felt and observed. 
No one questions him to say the least. 

But soon in the reign a conflict is raised,
The formula of division is used where the 
Team is divided and the number is mazed. 

The divisor remains out of the bracket,
The one who gets the world gazed. 
And gets the divider divided as a baccate. 

The remainder was getting fumbled;
And not getting to know the solution,
Will it be closed or stay all the time crumbled.

It is then, the quotient above the number;
Scanned the whole division and
Found the way to close the remainder. 

The solution was such that the remainder;
Get jaw lined down for the rest of their time,
As the quotient turns out the scroll of the divider. 

It was completely visible to the priest;
That the reign that belongs to him is covered;
Covered by the shadow of the  beast. 




Thursday, 18 October 2018

सरहद


मैं तीन मंज़िल के एक मकान मे रहता हु।
वो बालकनी जहा AC टेंगा हुआ है।   
तीसरी मंज़िल पे वही मेरा घर हैं।
मेरा घर एक सरहद का काम करता हैं। 
इसके एक ओर गगन चुम्बी इमारते हैं। 
इन इमारतों में सैंकड़ो घर है। 
इन घरो की खिड़कियों से मैंने किसी को भी।
कभी झांकते हुए नहीं है। 
शाम ढलते ही मनो रौशनी जो कैद है। 
इन्ही खिड़कियों से निकलने की कोशिश करती है। 
मैं खुद इसका गवाह हु। 
मेरे घर के दूसरी ओर एक बस्ती है। 
इन लोगो ने अपने माकन  ground floor 
तक ही सिमित रखा है। 
इन्हे नहीं पता की सरहद के उस ओर क्या है। 
यह मुझे मेरे किराये के मकान मे देख 
कर  सोचते है की यह बहुत अमीर हैं। 
यह सब मेरे घर में रौशनी कैद पते हैं 
मई खुद इसका गवाह हु। 
वो सरहद वाले। 
मेरे घर की उम्मीद मे है। 
और मै सरहद के उस ओर वाले की। 
कभी न कभी हमारे हालात बदलेंगे। 
सरहद के उस ओर वाले इस और आएंगे 
की नहीं यह तो समय को ही पता है। 
पर फ़िलहाल मेरा घर एक सरहद का काम करता हैं। 

                                                                    - साहिल 

Sunday, 7 October 2018

ख़त

जब तुम्हारी तस्वीर देखता हु। 
तो कुछ इच्छाएं उठीती है मन मे।  
की तुम अगर इतनी दूर न होकर। 
मेरे करीब होती तो।
इन चिट्ठियों में तुम्हारी खुसबू न ढूंढ़ता होता। 
जो पिछले महीने की चिट्ठी जिसमे। 
मेरा नाम तुम्हारे एक आंसू की बूँद ने मिटा दिया था। 
संभाले रखीं है मैंने। 
काश के हमारे बीच इतनी दूरी न होती। 
तो  तुम्हे रोज़ गुदगुदी करके रुलाता। 
और तुम्हारे रूठ हो जाने पे पागलो सी हरकते करके मनाता। 
तुम्हे सुलाता अपनी बांहों में भरके। 
और सर्द सुबह मे अदरक के चाय की गरम। 
प्याली ला कर के जगाता। 
उन्ही सर्द रातों में तुम्हे ओढ़ता और तुम्हे ही बिछाते हुए। 
खुद तुम्हारे अघोष में सो पता। 
तुम्हारी हर अदा और नखरे को। 
अपनी कविताओं में कैद कर पाता। 
तो शायद यह पहाड़ सी ज़िन्दगी। 
आराम से कट पाती। 
पर हकीकत तो यह है। 
की तुम वहा हो और। 
मैं अपनी मजबूरियों के बोझ तले। 
दबा हुआ यहाँ हू। 
तुमसे बहुत दूर। 
यह कुछ इच्छाएं है मेरी जो इस खत में लिख भेज रहा हु। 
इसी वादे के साथ के गर इस ओर न पूरी हुयी यह। 
तो उस ओर पूरी ज़रूर करूँगा। 
मैं तुम्हारा था और तुम्हारा ही मरूंगा।

Sunday, 30 September 2018

GIRLS LIKE YOU ALL


I want to marry a woman who is smarter;
More than me.
I want to marry a woman who is ambitious;
More than me.
I want to marry a woman who is funnier;
More than me.
I want to marry a woman who is selfless;
More than me.
I want to marry a woman who is better;
in every possible aspect of life,
More than me.
Is it too much to ask? 
I was brought up in a house where the culture is such.  
Yes, my father used to think;
my mother doesn’t know about the tech stuff much. 
But it was she who learnt to make a video call first. 
Coz she had that thirst. 
To learn and not lag behind. 
Just in case she has to be bread earner of the house. 
And play the roles other than a spouse. 
Yet, she is afraid of the mouse. 
But reassures us whenever a doubt may arouse. 
So I leave you all with this question to think
Do you want this? 
Because I would marry someone like this in a blink.

Sunday, 23 September 2018

माँ


वो जो दूर खड़ी आँखों में आंसू लिए मुस्कुरा रही है। 
उसे बस इस बात की तस्साली है की मैं खुश हूँ। 
उसने अपनी सारी उम्र मेरी ख़ुशी में खुश होके निकाल दिया।   
वो जो दूर खड़ी आँखों में आंसू और होटों पे मुस्कान लिए दुआएं दे रही हैं। 
उसे बस इस बात की तस्सली है की उसकी दुआयें काम कर गयी।  
उसने अपनी सारी उम्र मुझे दुआयें देने में ही निकाल दी। 
वो जो दूर खड़ी आँखों में आंसूं और होटों पे मुस्कान लिए झोला पकड़ के खड़ी है। 
तुम जाके देख लो उसे आज भी तो एक ठन्डे पानी की बोतल और एक बिस्किट का पैकेट मिलेगा।  
उसने अपनी सारी उम्र इस झोले को भरने में ही निकाल दी है। 
अब तुम ही बताओ कोई कैसे मुँह मोड़ सकता है। 
कोई कैसे इन आशाओं को तोड़ सकता है। 
कोई कैसे इतना कठोर हो सकता है की मूड के भी न देखें।  
कोई चिड़िया कैसे उसके आँगन में न चेहके। 
क्या हुआ गर इसने कोई ज़िद पूरी नहीं की तुम्हारी। 
क्या हुआ गर मारा तुम्हे इसने तुम्हारी भलाई क लिए। 
क्या हुआ गर दूर कर दिया खुदसे तुम्हारे सपनो को पंख देने के लिए। 
तुम समझते हो की इसने वो साल बहुत ख़ुशी में जिए है 
तो तुम गलत हो। 
मेरी मनो तो अब भी समय है पलट लो। 
के कही कल देर न हो जाये। 
यह इंसान तुमसे कही दूर हो जाये।  
और तुम हाथ मलते रहना और अपनी किस्मत को कोसते हुए कहना। 
के एक बार तो अपने गले से लगा जा। 
इन आंसुओं को रोकने का तरीका बता जा 
तू एक बार। 
बस एक बार माँ मुझे चुप करने के लिए आजा।  

Saturday, 15 September 2018

THE BRUSH


The brush mixed 
with the colours,
and started running; 
with my stroke.
I was taking some time where,
I was trying to explain my goals;
to the brush.
It takes time,
to draw the track but 
as the brush was losing the colour 
the track was getting invisible, 
It is then the canvas shout and
The brush was thud 
to which it jumps in the colours.
As the tape of the track was getting close, 
This time colours were getting finish,
It looked as if they are done
the brush started to jump 
as fast as possible and 
as the same is important 
the brush started 
making the track full with puddles
And in the last stroke 
The track tape saw visible 
but as I was watching my location 
the track was full of invisible huddles. 
Now I don't know should 
I held my head high on the brush 
or just break it down.

Saturday, 1 September 2018

The Three Words


Sand may be washed by sea
It was minor misinterpretation.
No one knew it could ignite
a new,

yet beautiful relation,
Between you and me.
You stormed in like a breeze
and settled in my conscious with ease.
I would urge you
to stay longer, please.
Your voice is refreshing
and full of life
I wish for you nothing
but happiness and joy in rife.
I would never want to see
a drop of tear in your eyes.
I will never tell you any lies.
Whatever I have told you
is cent percent true.

I was holding back for long
The three words
On the tip of my tongue
Was not to be spoken
or sung
or whispered
to anyone
till I scream
on the top of my lung
and say that I love you.

अवसरों की खोज में: एक आत्मविश्वास की कहानी

शहर की बेमिती पलकों में, वहाँ एक आदमी का रूप, बेरोज़गारी के आबा में लिपटा, अकेला दिल की धड़कन में, अवसरों के समुंदर में बहती एक अकेला आत्मा,...